
⭕कलेक्टर परमिशन की आड़ में भू माफियाओं ने आदिवासी कृषि भूमि कौड़ियों के मोल खरीद करोड़ों में अन्य को बेचीं…
⭕नए खरीददार हो सकते हैं परेशान…!क्योंकि बैंक लोन आदि में पेंच फंस सकता है पूर्व में आदिवासी कृषि भूमि का होना…
⭕अमलीभौना,बड़े रामपुर में 650/- से 700/- रुपये प्रति वर्गफुट का रेट खुला…
⭕#भेड़िया क्रेशर , #डॉक्टर धर्मा, #दावत धवल की कमाई से चौंधियाये और भी लोग कूद पड़े अपना भाग्य आज़माने-लगे आदिवासी भूमि का सौदा करने…
⭕जिला मुख्यालय के आसपास बेशकीमती आदिवासी भूमि पर गिद्ध निगाहें सेटिंगबाज भूमाफिया चौकड़ी की…
रायगढ़।बड़े रामपुर, अमलीभौना आदि जो क्षेत्र जिला मुख्यालय अंतर्गत आते हैं लेकिन राजस्व अभिलेखों में ग्राम में ही दर्शित हैं। इन क्षेत्रों में आदिवासी कृषि भूमि को गैर आदिवासी व्यक्ति को विक्रय करने हेतु कलेक्टर की परमिशन की आवश्यकता होती है जोकि विशेष परिस्थितियों में एवं नियमबद्ध तरीके से ही देय होती है।भू राजस्व संहिता की धारा 165 (6) के तहत गैर आदिवासी को विक्रय करने की कलेक्टर द्वारा अनुमति दिए जाने की आड़ में बड़े पैमाने पर इस प्रकार के प्रकरणों के दर्ज होने एवं आदेश मिलने से जनचर्चा का बाजार गर्म हो गया है कि ऐसे कौन से हालात निर्मित हो गए कि आदिवासियों को अपनी भूमि गैर आदिवासी व्यक्तियों को बेचने की आवश्यकता आन पड़ी।यही नहीं मूल आदिवासी विक्रेता को इतना ज्यादा भाव में अंतर नहीं पड़ा और मुनाफ़ा नहीं हुआ जितना कि अनुमति प्राप्त व्यक्ति ने नए खरीददार को बेच चंद दिनों में ही ख़र्च की गई रकम का डबल कर लिया।
श्रीमति संजू गोंड, दयासागर नेताम, रामसिंह(सभी परिवर्तित नाम) ऐसे वे आदिवासी कृषक हैं जिन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचने में उतना लाभ नहीं कमाया जितना कि भेड़िया, धर्मा ,धवल जैसे भूमाफियाओं ने केवल सेटिंग्स के दम पर चंद दिनों में अपनी खर्च की गयी रकम का डबल,ट्रिपल मुनाफा कमा लिया। राजस्व विभाग जोकि अपने भ्रष्टाचार को लेकर फ़िलहाल अधिवक्ता संघ के निशाने पर है उसकी इन प्रकरणों में निभाई गई महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
⭕ उपरोक्त प्रकरणों की प्रमाणित नकल हेतु आवेदन दिया जाकर मामले का तथ्यात्मक खुलासा जल्द ही किया जायेगा।-अज्ञात