उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में जो बवाल मचा, उसकी पटकथा एकाएक तैयार नहीं हुई है। उसकी कड़ियां पिछले कई दिनों से जोड़ी जा रही थीं। भाजपा के केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र का यह कहना ‘दो मिनट लगेगा केवल’ और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल का आइडिया ‘ठा ल्यो लट्ठ’, ने लखीमपुर खीरी में मचे बवाल की पटकथा तैयार कर दी। किसान आंदोलन के शुरू होने से लेकर अभी तक, भाजपा एक बात कहती आई है कि यह आंदोलन दो-तीन प्रदेशों का है। देश के दूसरे हिस्सों में इसका कोई वजूद नहीं है। किसानों की इस कमजोरी को भाजपा ‘चूक’ समझ बैठी। पिछले दो तीन माह से केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और दूसरे पदाधिकारी, किसान आंदोलन के बारे में तल्ख टिप्पणी करते रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी अविक साहा कहते हैं, भाजपा शुरू से ही यह कहती आई है कि ये आंदोलन तो दो-तीन राज्यों का है। पार्टी और सरकार की यह सोच थी कि आंदोलन वाले किसान बहुत थोड़ी संख्या में हैं। तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार के मंत्रियों की तीखी बयानबाजी ने इस आंदोलन को सदा ही उकसाने का काम किया है। प्रदर्शन करना या काले झंडा दिखाना, ये किसानों का अधिकार है। लोकतंत्र में हर किसी को विरोध-प्रदर्शन करने की इजाजत है। अविक साहा ने कहा, किसानों ने कभी भी कोई काम छिपकर नहीं किया। कौन सा आंदोलन, भारत बंद या महापंचायत कब व कहां होगी, ये पहले से ही बता दिया जाता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले से ही यह घोषणा कर रखी थी कि भाजपा के मंत्री, सांसद और विधायकों को घेराव किया जाएगा। उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों का बहिष्कार होगा। ये सब एकाएक नहीं है।
दूसरी तरफ, भाजपा ने इस आंदोलन की मूल भावना को कभी नहीं समझा। वह तो केवल सिर गिनने में ही लगी रही। ‘आंदोलन’ दो-तीन राज्यों से आगे नहीं बढ़ रहा है, भाजपा इसी में अपना मकसद तलाश रही थी। पिछले दिनों जो भारत बंद हुआ, उसका असर 22 से ज्यादा प्रदेशों में देखने को मिला। भाजपा ने उसे दो राज्यों का ‘बंद’ बता दिया। खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने कहा, ‘सुधर जाओ नहीं तो सुधार देंगे, ‘दो मिनट लगेगा केवल’। उनका ये वीडियो वायरल हो गया। इसमें केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आप भी किसान हैं आप क्यों नहीं उतर गए आंदोलन में। अगर मैं उतर जाता तो उन्हें भागने का रास्ता नहीं मिलता। पीठ पीछे काम करने वाले 10-15 लोग यहां आकर शोर मचाते हैं। दस-ग्यारह महीने में ये आंदोलन तो पूरे देश में फैल जाना चाहिए था, मगर नहीं फैला। मैं केवल मंत्री, सांसद या विधायक नहीं हूं। मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं। किसान संगठनों को केंद्रीय मंत्री की इस बयानबाजी ने उकसा दिया। यहीं से लखीमपुर खीरी के तांडव की पटकथा लिखनी शुरू हो गई थी।
आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास करती रही है सरकार
किसान नेताओं का कहना है कि अजय मिश्र टेनी का यह वीडियो ज्यादा पुराना नहीं है। करीब दो-तीन सप्ताह पहले उन्होंने किसानों को उकसाने वाली यह बात कही थी। उसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक का एक वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो में खट्टर कह रहे हैं तो फिर ‘ठा ल्यो लट्ठ’ उनका इशारा किसानों की तरफ था। इससे पहले भी वे किसानों को लेकर खालिस्तान जैसे बयान दे चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी अविक साहा कहते हैं, अब लोग खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इस आंदोलन को उकसाने का काम किसने किया है।
योगेंद्र यादव ने कहा, लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर किसी को शक नहीं है। केंद्र सरकार, शुरू से ही किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास करती आई है। आंदोलन को तोड़ने के लिए प्रचलित हथकंडे, जैसे मांगें न मानना, लंबे समय तक आंदोलन को खींचना, किसानों को थकाना हराना, उनकी सप्लाई चेन को बाधित करना, अपनाती रही है। उसका नतीजा क्या हुआ। किसान आंदोलन तो खत्म नहीं हुआ। अभी वक्त है, सरकार संभल जाए। किसानों की जायज मांगों को पूरा किया जाए। ये तय है कि यह आंदोलन आने वाले समय में तेजी से और हर खेत-खलियान तक पहुंचता जाएगा।
( अमर उजाला से साभार )